Thursday, January 13, 2011

SHAYRI

चमकती आखों में ख्वाव दिखाया न करो
निभा नही पाते वो कसम खाया न करो ,
जब तोडना ही है तो दिल लगाते क्यों हो
सजा-ए-गम देकर तो तडपाया न करो |


ख्वावों में जीना जब आदत बन जाती है
हकीकत की दुनिया भी ख्वाब नजर आती है
कोई इंतजार करे या न करे ,फिर भी हर पल
ये दुनिया अपने इंतजार में नजर आती है

ख्वावों  की दास्तान भी  अजीब होती है
हकीकत इनसे कोसों दूर होती होती है
ख्वाब देखना ही नही सब कुछ ,कई बार
जिन्दगी भाग्य के हाथों भी मजबूर होती है