Wednesday, October 30, 2013

रातें गुजरती हैं महखाने में ....

अपनी भी क्या हस्ती बची है इस ज़माने में
रातें भी गुजर जाती हैं अब तो महखाने में
महोब्बत ने उनकी जख्म दिए हें हज़ारों
दिल का दर्द दूर होता नही दवाखाने में 
 
कभी हम भी तो शरीफ हुआ करते थे
क्यूँ आ पहुंचे फिर इश्क के बागानों में
किया करते थे कभी नफरत हम शराब से
अब तो एक घूंट भी नही छोड़ते पैमानों में
 
कितना अच्छा होता गर वो आखों से पिलाते
डूबकर मर जाते उनके आखों के प्यालों में
उनका चेहरा ही नज़र आता हर जगह
कुछ पल तो न होता महखाना " ख्यालों में "

घर-घर जा के तलाश की है हम ने, मिलती
नही इंसानियत अब इंसान के मकानों में
हो जाती है कुछ टूटे दिलों से मुलाकात यहाँ
इसीलिए हम रातें गुजर लेते हैं महखानों में .....................

Tuesday, October 9, 2012

- - - -

मोहब्बत में भी जिंदगी क्या-क्या दिखा देती है

 चंद पलों की मुलाकात ताउम्र- दर्द बना देती है

 जो उपने लिये बना है उससे वर्षों जुदा रखती है

 अपने हो नही सकते उन्हें दिल में बसा देती है ////

AJAY SINGH IIT DELHI

Friday, August 24, 2012

- - - हालत-ए- इन्सां - - -

ऐ खुदा हालत-ए- इन्सां
 इतनी  अजीब  क्यूँ  है
चिरागों की आड़ में भी 
अँधेरा  पलता  क्यूँ  है 

मानव ही मानवता को
बेघर करता रहता है 
चाँद पैसों में ही इमान
इन्सान का बिकता क्यूँ है 

जो पास है उसका तो
मोल  कुछ भी नही ,
जिसे पा नही सकता 
उसे खोने का डर क्यूँ है 

गुजरे पलों  की  याद में 
तलाशते रहते हैं जिन्दगी 
कीमत-ए -वर्तमान पलों
में  इतनी लघुता  क्यूँ है 

इन्सां हर जगह है पर 
इंसानियत की कमी है 
हर  चेहरे  ने  पहना
   इक  नकाब  क्यूँ  है 

Sunday, June 17, 2012

हमारे नेताओं की जुबानी


इस सरकार  ने बहुत लूट लिया 
अब हमें इक मौका दो ,
इनकी कसर पूरी करने 
हम तैयार बैठे हैं 


अन्ना जी भ्रष्टाचार का 
एक पेड़ तो उखाड़ो  
दस और पेड़ लगाने को 
हम तैयार बैठे हैं     


कासब ,अफजल शरीखों को 
मरो नही ,हमें सोंप दो 
मेहमानी  इनकी करने 
हम तैयार बैठे हैं


देश प्रेम की एक भी  बात 
करके तो देख लो 
टांग अडाने "ठाकरे जी "
तैयार बैठे हैं.


कलमाड़ी जैसे घोटाले ,तुम 
भी तो करके देखो 
देशभक्त बोलने दिग्विजय 
 
तैयार बैठे हैं


घोटाले के क्षेत्र में भी 
नोबल मिलना चाहिए 
अनेकों नोबल भारत लाने 
हम तैयार बैठे हैं


जेब अपनी थोड़ी और 
टाइट कर लो 
मंहगाई को और बढाने      
हम तैयार बैठे हैं.


देशवासियो चिंता  करो 
अपने दिल थम के बैठो 
नए घोटाले का सरप्राइज  देने 
हम तैयार बैठे हैं.

घोटाले का टी - २०


घोटाले की   टी-२० टीम  ने    
अच्छा खेल दिखाया है .
किसी ने  अर्ध शतक मारा है  ,
तो किसी ने शतक लगाया है .

लालू जी तो ओपनिंग में ही 
चौके खूब लगाते हैं .                                                  
उनके आउट होते ,मनमोहन 
वन-डाउन जाते हैं .

कलमाड़ी दुसरे छोर पे 
छक्के खूब लगाते हैं 
शुन्य पे आउट मनमोहन जी 
मंहगाई बढ़ा जाते हैं .

फिर आखिकार अन्ना जी 
एक कैच  ले जाते हैं ,
कोंग्रेस वाले धकेल उन्हें 
बाउंड्री बहार ले जाते हैं 

राजा ने भी यहाँ पे 
खेली अच्छी पारी है 
उनके रिटायर हर्ट होते ही 
येदुरप्पा की बारी है.

सी.बी.आई.की फील्डिंग भी 
कमजोर पड़ जाती है .
रन लेते समय कोंग्रेस  भी 
रास्ते में अड़ जाती है .

दिग्विजय  एक  अम्पायर की 
भूमिका यहाँ निभाते हैं 
कलमाड़ी को नॉट-आउट देकर 
देशभक्त कह जाते हैं .

सोनियां ने भी मैच रेफरी का 
काम खूब संभाला है.
पूरी की पूरी फील्डिंग टीम पे 
जुर्माना लगा डाला है...

Sunday, October 23, 2011

- - - - माँ - - - -

कैसे तुझे  बताऊँ माँ कि
याद तेरी यहाँ आती  है
तेरे प्यार की वो दुनियां अब
आँख मेरी भर जाती  है |

भूखी तू रह जाती है पर
खाना मुझे  खिलाती  है
राह का मेरी मिटाने अँधेरा
तू दीपक बन  जाती  है |

घिर जायें हज़ार दुखों से
जब,राह नजर न आती है
गोद तेरी तो उस पल भी माँ
स्वर्ग  धरा  बन  जाती  है |

दया  भाव  की  तू  मूरत
नित शांत नज़र तू आती है
मेरी तो हर भूल को माँ तू
पल में ही  भूल जाती  है  |

अब बदला मैं हू या वक़्त बदल
गया ,पर तू बदल न पाती है
दुनिया तेरी वो,अब मेरा एक
ख्वाब  बनकर रह जाती  है |

भागदौड़  में  अब  मेरी  ये
जिंदगी  खत्म  हो जाती है
मंजिल ये दूर ले न जाये तुझसे
ये  चिंता  मुझे  सताती  है  |

यूँ तो  सुख हैं  हजारों यहाँ  पे
पर तेरी कमी न पूरी हो पाती है
बिन तेरे, खिली कली  मन की 
मेरी, पल में  मुरझा जाती  है |

कैसे  करू  नमन  तेरा  माँ
कोई  राह  नज़र  न आती है
मूरत  में  भागवान  के  तेरी
सूरत  नज़र  अब  आती  है
सूरत नज़र अब आती है |||||

Saturday, July 16, 2011

-------------

पहाड़ से  गिरे  इन्सां  उठ सकते हैं, मगर
गिर गये जो  नजरों से , उठा  नही करते
कोशिश   हज़ार  कर  ले  बसंत  फिर  भी
सुख गये जो फूल , फिर खिला नही करते
बीते पलों कि याद में यूँ ही गुजर जाती है जिन्दगी
गुजर गये जो पल,वापस  मिला नही करते
यूँ तो टूट जाया करते हैं  बंधन पल भर में,
बिना गांठ पड़े मगर,फिर से जुडा नही करते
धुल जाते  हैं कपड़ों पे लगे धब्बे  आसानी से
चरित्र पे लगे  दाग  मगर, धुला  नही  करते

दूर से कितनी भी हसीन नजर आये दुनिया मगर
हैं सबसे खुबसुरत जो , किसी को मिला नही करते

Saturday, March 12, 2011

----- हमारे देश में महिलाओं की स्थिति ------

 आजकल दिल्ली  में लडकियों की हत्या  एक आम बात बन गयी है |
वाह !! हमारे देश की राजधानी कहे जाने वाले शहर दिल्ली |
आज हमारे देश में लडकी सर उठा के नही चल सकती है 
शायद अब हमारे देश में महिलाओं  को यह अधिकार ही नही रहा है |
वाह हमारे देश के कानून और हमारे देश की सुरक्षा  व्यव्व्स्था \
हमारे देश में अफजल और कासब जैसे लोगो को तो जीने का पूरा अधिकार है 
उनके लिए पूरी सुरक्षा भी उपलब्ध है पर हमारे देश में महिलाओं की स्थिति 
तो देखने ही लायक है |
पिछले कुछ दिनों से अख़बारों में पढने को बहुत मिला ------
आरुशी मर्डर केश ,,,,,
राधिका तंवर, बी.ए. दूसरे वर्ष की छात्रा की , Ramlal आनंद कॉलेज के बाहर हत्या कर दी गई |
एक जवान लड़की  की दिनदहाड़े कॉलेज में हत्या |
 एक बुजुर्ग महिला की उसके घर में गला रेतकर  हत्या कर दी गई,
  एक गृहिणी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गयी | 
 दक्षिण पश्चिम दिल्ली में एक किशोर लड़की की हत्या |
इन सब बातों का शायद उन लोगों पर अशर न पड़े जो आराम से कुर्शी पर बैठे हैं या जो 
सुरक्षा के झूठे दावे देते हैं पर उन लोगों पर जरुर असर पड़ता है जिनके जिगर का टुकड़ा उनसे
छिन जाता है या जिनके परिवार का सदस्य उनसे हमेशा हमेशा के लिए अलग हो जाये |

अभी तक मुझे नही लगता की कोई एसा सख्त कदम उठाया गया है जिससे ऐसे घिनोने 
कर्म करने वाले पापियों को ऐसी सजा मिल सके ताकि कोई फिर ऐसा कर्म करने की भी 
न सोचे |
खैर हमारे देश का कानून इतनी जल्दी किसी बात की खबर नही लेता है |यही हमारा 
देश है जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है |