Tuesday, February 8, 2011

ऐ खुदा

ऐ खुदा   इस  जहाँ   में   तेरे ,
            कोई  हँसता ,कोई   रोता   क्यों ,,

इन्सान -इन्सान  सब  एक  समान  हैं  तो  फिर
            उंच -नीच   जाति-भेद  क्यों

इन्सान  तो  सब  तेरी  ही  सन्तान  हैं  फिर ,
            कोई  वारिस  कोई  लावारिस  क्यों ,,

तुने  ये  पेट  तो  सबको  दिया  हैं  फिर ,
            किसी  को  खाना  कोई  भूखा  क्यों ,,

दुनिया  में  कुछ  तेरा -मेरा  नही  फिर
            कोई  धनी कोई  गरीब  क्यों ,,

इन्सान  तो   हर  जगह  पर  है  फिर  ,
            इंसानियत   की   कमी   क्यों  ??


10 comments:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....स्वागत है...

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  2. असमानता और विविधता ही जीवन है ...

    पर ये भी सच है की इस असमानता को भगवान ने नहीं बल्कि इंसान ने खुद पैदा किया है ....

    इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई ...हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है ....

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  3. आपने बहुत गहरे सवाल किये हैं ...लेकिन उत्तर शायद ही मिले ..क्या पता ...?

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  4. कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  5. इस बात में कोई भी दो राय नहीं है कि लिखना बहुत ही अच्छी आदत है, इसलिये ब्लॉग पर लिखना सराहनीय कार्य है| इससे हम अपने विचारों को हर एक की पहुँच के लिये प्रस्तुत कर देते हैं| विचारों का सही महत्व तब ही है, जबकि वे किसी भी रूप में समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच पहुँच सकें| इस कार्य में योगदान करने के लिये मेरी ओर से आभार और साधुवाद स्वीकार करें|

    अनेक दिनों की व्यस्ततम जीवनचर्या के चलते आपके ब्लॉग नहीं देख सका| आज फुर्सत मिली है, तब जबकि 14 फरवरी, 2011 की तारीख बदलने वाली है| आज के दिन विशेषकर युवा लोग ‘‘वैलेण्टाइन-डे’’ मनाकर ‘प्यार’ जैसी पवित्र अनुभूति को प्रकट करने का साहस जुटाते हैं और अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्यार भरा उपहार देते हैं| आप सबके लिये दो लाइनें मेरी ओर से, पढिये और आनन्द लीजिये -

    वैलेण्टाइन-डे पर होश खो बैठा मैं तुझको देखकर!
    बता क्या दूँ तौफा तुझे, अच्छा नहीं लगता कुछ तुझे देखकर!!

    शुभाकॉंक्षी|
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
    सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    (देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
    फोन : 0141-2222225(सायं सात से आठ बजे के बीच)
    मोबाइल : 098285-02666

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  6. इन्सान तो हर जगह पर है फिर ,
    इंसानियत की कमी क्यों ??

    बहुत बढिया.

    हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
    http://najariya.blogspot.com/

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  7. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी चिट्ठा जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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