Tuesday, January 7, 2014
Wednesday, October 30, 2013
रातें गुजरती हैं महखाने में ....
अपनी भी क्या हस्ती बची है इस ज़माने में
रातें भी गुजर जाती हैं अब तो महखाने में
महोब्बत ने उनकी जख्म दिए हें हज़ारों
दिल का दर्द दूर होता नही दवाखाने में
रातें भी गुजर जाती हैं अब तो महखाने में
महोब्बत ने उनकी जख्म दिए हें हज़ारों
दिल का दर्द दूर होता नही दवाखाने में
कभी हम भी तो शरीफ हुआ करते थे
क्यूँ आ पहुंचे फिर इश्क के बागानों में
किया करते थे कभी नफरत हम शराब से
अब तो एक घूंट भी नही छोड़ते पैमानों में
क्यूँ आ पहुंचे फिर इश्क के बागानों में
किया करते थे कभी नफरत हम शराब से
अब तो एक घूंट भी नही छोड़ते पैमानों में
कितना अच्छा होता गर वो आखों से पिलाते
डूबकर मर जाते उनके आखों के प्यालों में
उनका चेहरा ही नज़र आता हर जगह
कुछ पल तो न होता महखाना " ख्यालों में "
घर-घर जा के तलाश की है हम ने, मिलती
नही इंसानियत अब इंसान के मकानों में
हो जाती है कुछ टूटे दिलों से मुलाकात यहाँ
इसीलिए हम रातें गुजर लेते हैं महखानों में .....................
डूबकर मर जाते उनके आखों के प्यालों में
उनका चेहरा ही नज़र आता हर जगह
कुछ पल तो न होता महखाना " ख्यालों में "
घर-घर जा के तलाश की है हम ने, मिलती
नही इंसानियत अब इंसान के मकानों में
हो जाती है कुछ टूटे दिलों से मुलाकात यहाँ
इसीलिए हम रातें गुजर लेते हैं महखानों में .....................
Tuesday, October 9, 2012
Friday, August 24, 2012
- - - हालत-ए- इन्सां - - -
ऐ खुदा हालत-ए- इन्सां
इतनी अजीब क्यूँ है
चिरागों की आड़ में भी
अँधेरा पलता क्यूँ है
मानव ही मानवता को
बेघर करता रहता है
चाँद पैसों में ही इमान
इन्सान का बिकता क्यूँ है
जो पास है उसका तो
मोल कुछ भी नही ,
जिसे पा नही सकता
उसे खोने का डर क्यूँ है
गुजरे पलों की याद में
तलाशते रहते हैं जिन्दगी
कीमत-ए -वर्तमान पलों
में इतनी लघुता क्यूँ है
इन्सां हर जगह है पर
इंसानियत की कमी है
हर चेहरे ने पहना
इक नकाब क्यूँ है
Sunday, June 17, 2012
हमारे नेताओं की जुबानी
इस सरकार ने बहुत लूट लिया
अब हमें इक मौका दो ,
इनकी कसर पूरी करने
हम तैयार बैठे हैं
अन्ना जी भ्रष्टाचार का
एक पेड़ तो उखाड़ो
दस और पेड़ लगाने को
हम तैयार बैठे हैं
कासब ,अफजल शरीखों को
मरो नही ,हमें सोंप दो
मेहमानी इनकी करने
हम तैयार बैठे हैं
देश प्रेम की एक भी बात
करके तो देख लो
टांग अडाने "ठाकरे जी "
तैयार बैठे हैं.
कलमाड़ी जैसे घोटाले ,तुम
भी तो करके देखो
देशभक्त बोलने दिग्विजय
तैयार बैठे हैं
घोटाले के क्षेत्र में भी
नोबल मिलना चाहिए
अनेकों नोबल भारत लाने
हम तैयार बैठे हैं
जेब अपनी थोड़ी और
टाइट कर लो
मंहगाई को और बढाने
हम तैयार बैठे हैं.
देशवासियो चिंता न करो
अपने दिल थम के बैठो
नए घोटाले का सरप्राइज देने
हम तैयार बैठे हैं.
घोटाले का टी - २०
घोटाले की टी-२० टीम ने
अच्छा खेल दिखाया है .
किसी ने अर्ध शतक मारा है ,
तो किसी ने शतक लगाया है .
लालू जी तो ओपनिंग में ही
चौके खूब लगाते हैं .
उनके आउट होते ,मनमोहन
वन-डाउन आ जाते हैं .
कलमाड़ी दुसरे छोर पे
छक्के खूब लगाते हैं
शुन्य पे आउट मनमोहन जी
मंहगाई बढ़ा जाते हैं .
फिर आखिकार अन्ना जी
एक कैच ले जाते हैं ,
कोंग्रेस वाले धकेल उन्हें
बाउंड्री बहार ले जाते हैं
ऐ राजा ने भी यहाँ पे
खेली अच्छी पारी है
उनके रिटायर हर्ट होते ही
येदुरप्पा की बारी है.
सी.बी.आई.की फील्डिंग भी
कमजोर पड़ जाती है .
रन लेते समय कोंग्रेस भी
रास्ते में अड़ जाती है .
दिग्विजय एक अम्पायर की
भूमिका यहाँ निभाते हैं
कलमाड़ी को नॉट-आउट देकर
देशभक्त कह जाते हैं .
सोनियां ने भी मैच रेफरी का
काम खूब संभाला है.
पूरी की पूरी फील्डिंग टीम पे
जुर्माना लगा डाला है...
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